31 October 2020

सेहत वाली मिठास


मीठा जायका 

हमारे खानपान के जायके में मीठे का विशेष महत्व है। मीठा जायका किसी भी अवसर, उम्र व समय को यादगार बनाने में अहम योगदान निभाता है। आधुनिक खानपान में मीठे का विस्तार तथा विविधता बहुत अधिक है। इसके साथ ही समय एंव जीवनशैली की आधुनिकता के चलते हम मिठास के प्राकृतिक गुणों से परे हट कृत्रिम हानियों की ओर स्वत: अग्रसित हैं। मिठास, मानव सेहत तथा शरीर के लिए लाभ व हानि दोनों है। इस कारण यह जानना बेहद जरूरी है कि किस हद तक तथा किस रूप में हम मीठे का सुरक्षित व लाभकारी उपयोग कर सकते हैं। 

मिठास की जरूरत 

मानव शरीर मुख्यत: तीन रूपों में उर्जा ग्रहण तथा संचलित करता है। ये तीन रूप वस्तुत: कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन तथा फैट या वसा हैं। हमारा शरीर इन उर्जा या पोषक तत्वों को स्वयं नहीं बना सकता। इस कारण हम इन्हें अपने भोजन द्वारा अर्जित करते हैं। मीठा खाना हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स यानि कैलोरी की जरूरत को पूरा करता है। कार्बोहाइड्रेट्स हमारे तंत्रिका तंत्र को उर्जा प्रदान करती है जिससे मांसपेशियों को काम करने की ताकत मिलती है। एक आम वयस्क इंसान को दिनभर में 1800 कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है। यह मात्रा गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा होती है। मधुमेह पीड़ितों के लिए यह मात्रा 200 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। नई खोज से पता चला है कि कार्बोहाइड्रेट्स अथवा मीठे के सही उपयोग से शरीर में मौजूद प्रोटीन के स्थान पर वसा या चरबी का जमाव कम होता है। कार्बोहाइड्रेट्स केवल शरीर के लिए नहीं अपितु मस्तिष्क के स्वस्थ क्रियाशीलता के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी कमी एंव अधिकता मस्‍त‍िष्क के सोचने, समझने, सीखने, महसूस करने सहित सभी पहलुओं को प्रभावित करती है। 

प्राकृतिक मिठास 

कार्बोहाइड्रेट्स दो प्रकार के होते हैं – सरल व जटिल। सरल कार्बोहाइड्रेट्स जल्दी घुल व पच जाते हैं। ये प्राकृतिक रूप से फलों, दूध व दुग्ध् उत्पादों में पाये जाते हैं। जटिल कार्बोहाइड्रेट्स धीमी गति से घुलते व पचते हैं। ये अनाज, तिलहन, मटर, मकई, हरी साग-सब्जियां, आलु, कंद आदि में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। ये मुख्यत: स्टार्च युक्त भोज्य पदार्थ होते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट्स के अलावा अन्य मिनरल, विटामिन व फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। जटिल कार्बोहाइड्रेट्स एक निरंतर तथा स्थायी उर्जा का निर्माण करते हैं एंव शरीर को अंदरूनी रूप से स्‍वस्थ‍ तथा मजबूत रखते हैं। 

हानिकारक मिठास 

आधुनिक जीवनशैली एंव खानपान की आदतों के चलते हम सरल कार्बोहाइड्रेट्स के अत्यधिक इस्तेमाल के आदि हो चुके हैं। इसके अंतर्गत हम जिस कार्बोहाइड्रेट्स के आसान व सरल स्‍त्रोत पर निर्भर हो चुके हैं वह है ‘चीनी’। प्रोसेस्ड या रिफाइन्ड चीनी में मिठास को छोड़ और कोई गुण नहीं होता। मसलन इसमें कोई अन्य मिनरल, विटामिन या फाइबर नहीं होता है। इस कारण इन्हें ‘सादा’ या ‘खाली’ कैलोरी भी कहा जाता है। चीनी, सरल कार्बोहाइड्रेट्स के रूप में, हमारी तंत्रिकाओं से होते हुए मांसपेशियों तक उर्जा का तीव्र आवेग पहुंचाता है। यह उर्जा तीव्र तो होती है मगर छोटी आयु वाली होती है। मतलब कि यह लंबे समय तक कायम नहीं रहती। प्रोसेस्ड या रिफाइन्ड चीनी से बने खाद्य पदार्थों के अत्यधिक उपयोग से मोटापा, मधुमेह, ह्रदय संबंधी बीमारियां, दांत एंव मसूड़े के रोग, पाचन प्रणाली में गड़बड़ी तथा कई प्रकार के कैंसर होने का खतरा बना रहता है। इसके कारण खून में मौजूद ग्लूकोज की मात्रा अनियमित हो जाती है जिसके कारण शरीर कई बिमारियों का घर बन जाता है। इसके अलावा तनाव एंव असमय बुढ़ापा भी इसके प्रमुख लक्षण हैं। छोटी उम्र में इसके अत्यधिक लत से बच्चों में व्यवहार एंव अनुभूति संबंधी समस्यायें आज आम हो चुकी हैं। जब हम इस प्रकार के भोजनों का ज्यादा उपभोग करने लगते हैं तो हमारी दूसरे विटामिन, मिनरल व फाइबर लेने की क्षमता स्वत: ही कम हो जाती है। इस प्रकार हमारे शरीर में बिमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती चली जाती है। 

गुणकारी गुड़ 

अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो प्रोसेस्ड चीनी व उससे बने खाद्य पदार्थों के स्था‍न पर गुड़ का इस्तेमाल आपको कई फायदे पहुंचायेगा। गौर करने लायक बात है कि जहां प्रोसेस्ड चीनी आपको हद से ज्या‍दा खाने को प्रेरित करती है वहीं गुड़ का प्राकृतिक मिठास आपकी भूख को एक सीमा विशेष के अंदर बांधे रखता है। इसी कारण यह देखा गया है कि उपवास के दौरान अचानक लगनेवाली भूख को थोड़े से गुड़ से शांत किया जा सकता है। गुड़ में कार्बोहाइड्रेट्स के अलावा कई अन्य जरूरी तत्व प्राकृतिक रूप से मौजूद रहते हैं। इस तरह करीब 100 ग्राम गुड़ में तकरीबन 180 मिलिग्राम मिनरल के अलावा विटामिन ए, बी, एंव सी भी मौजूद रहते हैं। गुड़ गजब का एनर्जी बूस्‍टर होता है जोकि शरीर को एक स्थायी अथवा लंबे समय तक बने रहने वाली उर्जा प्रदान करता है। इस कारण यह मेहनतकश लोगों की पहली पसंद होता है। गुड़ पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है क्योंकि यह पाचनक्रिया के लिए जरूरी क्षार पैदा करता है। इसके कई अन्य फायदों में से कुछ निम्नलिखित हैं – 

  • हड्डियां मजबूत बनाता है 
  • मूड बूस्टर तथा तनाव दूर करता है 
  • खून में हीमोग्लोजबिन की मात्रा बढ़ाता है 
  • ब्लड प्यूरीफायर तथा प्रदूषण का असर कम करता है 
  • हाइ ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करता है 
  • गले की खराश एंव सर्दी जुकाम में राहत 
  • पेट की परेशानियां दूर करता है 
  • त्वचा को स्वस्थ रखता है 
  • आंखों की रोशनी बढ़ाता है 
  • महिलाओं एंव बच्चों के लिए विशेष फायदेमंद 

 

 

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संबंधित प्रश्नोत्तर 

 

प्रश्‍न – क्या अधिक गुड़ खाना भी नुकसानदेह होता है? 

उत्तर – गुड़ में कैलोरी की मात्रा चीनी के समान ही होती है। किन्तु प्राकृतिक एंव औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण यह चीनी की तरह शरीर को सीधे तौर पर हानि नहीं पहुंचाता। किसी भी अन्य भोजन की तरह गुड़ की अधिकता भी आपके शरीर पर विपरीत प्रतिक्रिया डालेगी। किन्तु गुड़ की अच्छी बात यह है कि इसकी मिठास हमें परिपूर्णता का एहसास देती है और आपको एक सीमा विशेष में स्वयं बांधती व सुरक्षित रखती है। 

प्रश्‍न – तनाव में गुड़ खाने से क्या लाभ है? 

उत्तर – गुड़ एंडोर्फिन हॉरर्मोन के निर्माण में सहायता करता है। यही हॉर्मोन हमारी खुशी की अनुभूति को नियंत्रित करता है। इससे माइग्रेन, दर्द से राहत व तनाव दूर होता है। साथ ही गुड़ का सेवन याददास्त को तेज एंव मस्‍तिष्‍क को तरोताजा रखता है। 

प्रश्‍न – गुड़ का सबसे प्रचलित उपयोग क्‍या है? 

उत्तर – ठंड के मौसम में गुड़ के सेवन को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि यह शरीर को अंदर से गर्मी प्रदान करता है। इसके अलावा गुड़, नींबू एंव काली मिर्च का शर्बत एक जबरदस्त एनर्जी बूस्टर होता है।।


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Posted by Words That Matter on Saturday, October 31, 2020